Bater Farming: बटेर फ़ार्मिंग कर कम लागत में कमाए लाखो रूपये तक, जल्द पढ़िए पूरी जानकारी

Bater Farming: बटेर फ़ार्मिंग कर कम लागत में कमाए लाखो रूपये तक, जल्द पढ़िए पूरी जानकारीआज के समय में किसान अब अपनी कमाई बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं ऐसे में बटेर फार्मिंग एक बेहतर व्यवसाय बन सकता है. जिसमें ज्यादा न मेहनत है न ही ज्यादा पैसे खर्चे करने पड़े.
मुर्गी पालन को लेकर उत्साहित किसानों को अब एक नई खेती आ चुकी है किसान अब मुर्गी पालन के बदले बटेर पालन में भी किस्मत आजमाने लग गए हैं. 70 के दशक में अमेरिका से इस जापानी बटेर को भारत लाया गया है. अब केंद्रीय पक्षी अनुसंधान इज्जत नगर बरेली में यह व्यसायिक रूप ले सकता है. कोरोना काल में जहां सभी तरह के मांसाहार से लोग बचते जा रहे वहीं बटेर के स्वादिष्ट और पौष्टिकता भरा मांस को जमकर खाते हैं. खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में इसके प्रति किसानों का रुझान काफी बढने लग गया है. किसानों को मेहनत के हिसाब से अच्छी कमाई होती जा रही है जानिए कैसे करें यह खेती.
कमाई
एक दिन के चूजे की कीमत मात्र 6 रुपये होती है. एक सप्ताह के चूजे को किसान 15 रुपये से 19 रुपये में खरीदकर 45 दिन में 300 ग्राम होते ही इसे कम से कम 45 रुपये में बेचा जा सकता हैं .
किसान अपने घरों में ही 200 चूजे तक पाल रहे हैं और अच्छी कमाई उठा रहे हैं. कोरोना काल में जहां सभी तरह के मांसाहार से लोग बचते रहे वहीं बटेर के स्वादिष्ट और पौष्टिकता भरा मांस को जमकर खाया जाता हैं.
शक्तिवर्धक मांस के तौर पर प्रयोग किया जाता है. इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि इसको खाने से शरीर में गर्माहट आती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है इसलिए कोरोना के खिलाफ इम्यून बढ़ाने वाला है.
बटेर पालन से जुड़ी महतवपूर्ण जानकारी
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्व विद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक डाक्टर प्रमोद कुमार ने TV9 हिंदी को खास बातचीत में कहा कि बटेर पालन की ट्रेनिंग लेकर किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है. बटेर पालन के लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते है जिन पर किसानों को ध्यान देना जरूरी है.
पोष्टिकता के लिहाज से वजन 55 ग्राम होता है परंतु मुर्गी की अपेक्षा बटेर के अंडे का वजन 30 ग्राम का होता है. बटेर अपने वजन से 10 भाग के रुप में अंडा देती है वही मुर्गी सिर्फ 3 भाग के ही देती हैं.
बटेर के अंडे में फास्पोरस और लौह की मात्रा होती है और इसकी शक्तिवर्घक गुण के कारण इसे लोग ज्यादा पसंद किया जाता हैं. अभी भी जंगली मुर्गी को मारने पर कानूनी पाबंदी लग चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट से जापानी क्रोस ब्रिड को पालने का परमिशन दिया जा चुका है बिहार के वैशाली जिले में अभी कई सौ किसानों द्वारा इसकी फार्मिंग की जा रही हैं. मुर्गी पालन की तरह की छोटे से घर में साफ सफाई का ध्यान रखते हुए बटेर के चूजे के भी लाएं.
एक बटेर को वयस्क होने में 6 से 7 सप्ताह का समय लग जाता है. उसके साथ ही अंडे देना भी शुरु कर देती है. एक साल में यह बटेर 280 से 290 अंडे तक देती है. सही तापमान पर अंडे से चूजे निकल जाते हैं
डाक्टर कुमार कहते हैं कि इसके अंडे की खासियत यह भी है कि इनको एक निश्चित टेंपरेचर पर रखकर 17 दिनों के प्रोसेस के बाद चूजे निकल सकते हैं. जिसे आसानी से किसी दूसरे किसान को पालने के लिए दे दिया जाता है.
एक बटेर 5 सप्ताह में ही 300 ग्राम के आस पास का होता है और बाजार में बेचने लायक हो जाता है .इसकी कीमत 45 रुपये से 60 रुपये होती है जबकि चिकन की कीमत कई बार कम होती है.
साल भर में बटेर पालन पूरे साल में 5 से 6 बार किया जा सकता हैं. बटेर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण बीमारियों से कम होती हैं फिर भी डाक्टरी सलाह के साथ ही इसका पालन करना चाहिए.
जंगली बटेर साल दो बार ही अंडे दे पाती है. इस पर सरकारी रोक लगाई गई है. अब तक सैकड़ो किसानों ने इज्जतनगर से प्रशिक्षण लेकर इस काम को शुरु कर दिया हैं.