किसानों के लिए खुशखबरी! गेहूं के दामों में भारी उछाल,विदेश में बड़ी मांग

गेहूं के दामों में भारी उछाल २५ मार्च से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी gehu ke bhav शुरु होने को लेकर विभागीय अमला तैयारी कर रहा है। लेकिन इस बार उपार्जन शुरु होने से पहले ही किसानों का इससे मोह भंग हो गया है। कारण भी साफ है कि सरकारी खरीदी से अधिक दाम किसानों को गेहूं-चने का मंडियों में मिल रहा है।
रुस-युक्रेन युद्ध के कारण गेहूं के दामों में अधिक उछाल आया है। विश्व में यह दोनों देश करीब २५ प्रतिशत गेहूं का निर्यात करते है। ऐसे में युद्ध के कारण यह बंद हुआ तो अंतराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दामों में उछाल आया है इसका असर मंदसौर मंडी पर भी पड़ा है। मांग बढऩे के साथ दाम भी बढ़ रहे है। इसी कारण किसानों ने मंडियों की तरफ रुख कर लिया है

दो बार हुई ओलावृष्टि फिर भी बंपर होगा गेहूं का उत्पादन
मंदसौर में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में जिले के 41 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। वहीं, चना, मसूर और सरसों को मिलाकर करीब 44 हजार से अधिक ने पंजीयन कराया है। पंजीयन पूरा होने के बाद अब विभागीय अमला उपार्जन की तैयारियों में जुट गया है। इस बार पर्याप्त बारिश होने के चलते गेहूं का रकबा बढ़ा तो पंजीकृत किसानों की संख्या भी 5 हजार तक बढ़ गई। ओलावृष्टि से रबी सीजन की फसलों में नुकसान हुआ है, लेकिन अब मौसम साफ होने के बाद फिर से किसान फसल निकालने में लग गए हैं। रबी सीजन में इस बार दो बार ओलावृष्टि हुई है। वहीं, इस बार गेहूं का बंपर उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है।
यूक्रेन क्राइसिस का असर, इंडिया से बढ़ सकता है गेहूं और मक्का का एक्सपोर्ट
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई (Ukraine Crisis) के चलते इंडिया से गेहूं (Wheat) और मक्का (Maize) का एक्सपोर्ट बढ़ सकता है। हालांकि, इस लड़ाई का सीधा असर कमोडिटीज की ग्लोबल सप्लाई (Global Commodities Supply) पर पड़ा है। क्रिसिल रिसर्च (Crisis Report) ने कमोडिटीज की सप्लाई पर रिपोर्ट जारी की है। इसमें कई कमोडिटीज की सप्लाई पर पड़ने वाले असर के बारे में बताया गया है।
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया के एग्री-ट्रेड पर यूक्रेन क्राइसिस का मिलाजुला असर पड़ेगा। हालांकि, इंडिया के लिए गेहूं और मक्का का निर्यात बढ़ाने के लिए यह बड़ा मौका है। लेकिन, खाद्य तेलों के इंपोर्ट पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा। इसकी वजह यह है कि इस क्राइसिस के चलते एडिबल ऑयल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “रूस और यूक्रेन गेहूं, सनफ्लावर ऑयल और मक्का के बड़े सप्लायर हैं। इंडिया गेहूं का बड़ा एक्सपोर्टर है, जबकि सनफ्लावर सहित एडिबल ऑयल का बड़ा इंपोर्टर है। इसलिए इस क्राइसिस से इंडिया के लिए गेहूं और मक्का का निर्यात बढ़ाने का मौका है, लेकिन उसका एडिबल ऑयल का इंपोर्ट बिल काफी बढ़ जाएगा।”
इससे पहले कहा गया था कि यूक्रेन क्राइसिस के चलते फर्टिलाइजर्स के इंपोर्ट पर असर पड़ेगा। इससे खरीफ की बुवाई के दौरान किसानों को फर्टिलाइजर्स के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। अभी से पोटाश सहित कुछ फर्टिलाइजर्स की कीमतें बढ़ गई हैं। इंडिया रूस और यूक्रेन से फर्टिलाइजर्स का इंपोर्ट करता है।
उधर, क्रूड ऑयल की कीमतें भी यूक्रेन क्राइसिस शुरू होने के बाद काफी बढ़ गई हैं। एक समय तो क्रू़ड का भाव 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। अब यह घटकर 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। यह इंडिया के लिए अच्छा नहीं है। इंडिया अपनी जरूरत का 85 फीसदी ऑयल का इंपोर्ट करता है। ऐसे में इसका पेट्रोलियम इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ जाने का अनुमान है।
युद्ध के बीच गेहूं के दाम बढ़े gehu ke bhav
रूस यूक्रेन युद्ध के बीच जिले की मंडियों में गेहूं के दामों में उछाल आया है। इन दिनों गेहूं का बाजार मूल्य ही ढाई हजार रुपए के आसपास है। तो मंडियों के बाहर से लेकर गांवों में भी गेहूं का व्यापार इसी दाम पर हो रहा है। समर्थन मूल्य पर होने वाली गेहूं की खरीदी में प्रति क्विंटल 2015 रुपए में सरकार किसानों से गेहूं खरीदेगी जो बाजार मूल्य से कम है। ऐसे में किसानों ने पंजीयन तो करवा लिया है, लेकिन अच्छे दाम मिलने पर किसान गेहूं को मंडियों में ही बेचने का मन बना रहे हैं
पिछले सालों में पंजीकृत किसानों की संख्या और समर्थन पर बेचने वालों की संख्या देख तो पता चल रहा है कि पंजीयन करोन के बाद भी किसान मंडियों में ही गेहूं बेच देते है। यही हाल चने में भी है। दाम समर्थन पर कम मिलने के कारण किसान मंडी में बेच देता है। जिले में दो लाख से अधिक किसान है, लेकिन समर्थन मूल्य की खरीदी के लिए 40 हजार 370 किसानों ने ही पंजीयन कराया है। हालांकि पिछले साल यह संख्या 36 हजार थी। रबी सीजन में उपार्जन के लिए अब तक 44 हजार 325 किसानों ने पंजीयन कराया है। इसमें चना में 12 हजार 784, मसूर में 1995 और सरसों में 4716 से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है।
निर्यात में बढ़ी मांग तो दामों में आया उछाल
मंडी में गेहूं के व्यापारी अरविंद बोथरा व सत्यनारायण खंडेवाल ने बताया कि रुस व युक्रेन देश विश्व में २५ प्रतिशत तक गेहूं का निर्यात करते है। दोनों देशों में युद्ध के चलते यह बंद हुआ है। इस कारण प्रदेश व जिले में ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम में तेजी आई है। इसका मंदसौर में भी असर है। युद्ध के बाद हालात सामान्य होने तक दाम में तेजी रह सकती है। दाम में उछाल के कारण किसान मंडी में इन दिनों गेहूं लेकर अधिक पहुंच रहे है। वहीं गेहूं के व्यापारी मुकेश कासट ने बताया कि गेहूं की निर्यात में मांग बढ़ी तो दामों में उछाल आया है। अंतराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के रशिया के जो सौदे होते थे वह भारत के हो गए इसलिए भारत में गेहूं के दाम बढ़ गए है।
मंडियों में दामों में आया है उछाल
नागरिक आपूर्ति विभाग जिला प्रबंधक केसी उपाध्याय का कहना है कि नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा गेहूं की खरीदी की जाना है। इन दिनों रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से मंडियों में गेहूं के दामों में उछाल आया है। अभी कहना मुश्लिक है, लेकिन इस बार मंडियों में अच्छे दाम मिले तो किसान उपार्जन केंद्र तक उम्मीद से कम पहुंचेंगे